केरल में निपाह वायरस (Nipah Virus) से संक्रमित 14 साल के किशोर की मौत हो गई है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने इस खबर की पुष्टि की है। कोझिकोड में इलाज करा रहे इस किशोर का 21 जुलाई को हार्ट अटैक के चलते निधन हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 20 जुलाई को उसे निपाह पॉजिटिव पाया गया था और उसे कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। उसे मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का डोज दिया जाना था, लेकिन दवा के पुणे से कोझिकोड पहुँचने से पहले ही उसकी जान चली गई।
राज्य सरकार अब उन सभी लोगों तक पहुँचने की कोशिश कर रही है जो संक्रमित किशोर के संपर्क में आए थे। इस बीच केंद्र सरकार की एक टीम भी कोझिकोड पहुँच गई है। केरल सरकार के मुताबिक राज्य में अब तक कुल 3 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं। कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में 77 लोग ऐसे मिले हैं, जिन्हें हाई रिस्क कैटेगरी में रखा गया है और उन्हें क्वारंटीन कर दिया गया है।
क्या है निपाह वायरस (What is Nipah Virus)
निपाह वायरस (Nipah Virus) एक संक्रामक रोग है, जो पहली बार 1998-1999 में मलेशिया और सिंगापुर में पालतू सूअरों में देखा गया था। उस वक्त इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए करीबन 10 लाख सूअरों को मार दिया गया था, लेकिन बीमारी रुकी नहीं। सूअरों के जरिए यह बीमारी इंसानों में फैली। 2001 में बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर लोग Nipah Virus की चपेट में आए। इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाला ताड़ी पी थी। वैज्ञानिकों के मुताबिक, खजूर के पेड़ तक वायरस चमगादड़ों के जरिए पहुँचा, जिसे ‘फ्रूट बैट’ भी कहा जाता है।
चर्चित वायरोलॉजिस्ट और बीआर अंबेडकर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर प्रो. सुनीत सिंह कहते हैं कि चमगादड़ या फ्रूट बैट Nipah Virus के सबसे बड़े वाहक हैं। ये किसी फल को चखते हैं और उसमें दांत लगा देते हैं, जिससे निपाह इंसानों तक पहुँचता है। फ्रूट बैट के सलाइवा और यूरिन से भी वायरस फैलता है। प्रो. सिंह कहते हैं कि निपाह जानवरों से इंसानों में तो फैलता ही है, इंसानों से भी इंसानों में फैलता है। अगर कोई व्यक्ति निपाह संक्रमित मरीज के क्लोज कांटेक्ट में है, तो उसे संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है।
केरल में ही क्यों फैल रहा ये वायरस?
प्रो. सुनीत सिंह कहते हैं कि केरल में बड़े पैमाने पर खजूर की खेती होती है, जो चमगादड़ों का पसंदीदा है। चमगादड़ खजूर का फल खाते हैं और उसमें दांत लगाते हैं, सलाइवा या यूरिन करते हैं तो यह संक्रमित हो सकता है। यह फल कोई दूसरा जानवर या इंसान खा ले तो उसका निपाह संक्रमित होना तय है।
निपाह वायरस के लक्षण (Nipah virus Symptoms)
नोएडा के फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. डीके गुप्ता के अनुसार, Nipah Virus शुरू में असिम्प्टोटिक होता है, यानी इसके कोई लक्षण नहीं दिखते। 3-4 दिन के अंदर बुखार, उल्टी, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। शुरुआती लक्षण वायरल बुखार जैसे नजर आते हैं, लेकिन यह इतना खतरनाक है कि तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। इंसेफेलाइटिस तक हो सकता है। अगर समय पर इलाज ना मिले, तो मरीज कोमा में भी जा सकता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (World Health Organization) के मुताबिक, निपाह वायरस से मौत का अनुपात 40 से 75 प्रतिशत के आसपास है।
निपाह वायरस से बचाव के उपाय (Measures to prevent Nipah Virus)
Nipah Virus से बचाव के लिए कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है। सबसे पहले, फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर खाएं, ताकि किसी भी प्रकार का संक्रमण होने का खतरा कम हो सके। ताड़ी या कच्चा खजूर खाने से बचें, और यदि खाएं भी तो उन्हें अच्छे से साफ करें। पालतू सूअरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए। अगर फार्म पर जाना पड़े, तो मास्क पहनकर रखें। नियमित रूप से हाथों को साबुन से धोना भी बहुत जरूरी है, जिससे किसी भी प्रकार के कीटाणु या वायरस का खतरा कम हो सके।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निपाह संक्रमित मरीज के क्लोज कांटेक्ट से बचें, ताकि संक्रमण फैलने का खतरा न रहे। इन सावधानियों को अपनाकर हम निपाह वायरस से बचाव कर सकते हैं।
क्यों नहीं बन सकी वैक्सीन?
निपाह वायरस की अभी तक कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के मुताबिक, अभी तक न तो जानवरों और न ही इंसानों के लिए निपाह वायरस की कोई वैक्सीन विकसित की जा सकी है। निपाह से संक्रमित मरीजों को सपोर्टिव मेडिसिन दी जाती है, जो लक्षणों का असर कम करती है।
प्रो. सुनीत सिंह कहते हैं कि निपाह वायरस ज्यादातर विकासशील देशों तक सीमित है। विकसित देशों में इसके बहुत ज्यादा मामले नहीं हैं, जैसे कि अमेरिका या यूरोप। इसलिये इसकी वैक्सीन में किसी बड़ी कंपनी की दिलचस्पी नहीं है। हालांकि, सेंटर फॉर वैक्सीन अलायंस ऐसे नेग्लेक्टेड वायरस की वैक्सीन के लिए फंडिंग कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है।
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निष्कर्ष
केरल में निपाह वायरस का प्रकोप फिर से चिंता का विषय बना हुआ है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग पूरी मुस्तैदी से इस वायरस से निपटने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन आम जनता को भी सतर्क रहना होगा और स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय अपनाने होंगे ताकि इस घातक वायरस से बचा जा सके। निपाह वायरस की वैक्सीन और दवा पर अभी और शोध की जरूरत है, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
इस समय हमें एकजुट होकर इस चुनौती का सामना करना है और अपने-अपने स्तर पर सावधानियां बरतनी हैं। केरल में यह संकट एक बार फिर से दिखाता है कि कैसे एक छोटा सा वायरस बड़ी आपदा का कारण बन सकता है, इसलिए जागरूकता और सतर्कता ही हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा है।